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[[Category:गज़ल]]
<poem> ज़िन्दगी को न बना दें वो सज़ा मेरे बाद
हौसला देना उन्हें मेरे ख़ुदा मेरे बाद
किस के आने की करेंगे वो दुआ मेरे बाद
फिर ज़माने ज़माना-ए-मुहब्बत की न पुरसिश होगीरोएगी सिसकियां सिसकियाँ ले-ले के वफ़ा मेरे बाद
वो जो कहता था कि 'नासिर' के लिए जीता हूं
उसका क्या जानिए, क्या हाल हुआ मेरे बाद
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