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उड़ीक / मदन गोपाल लढ़ा

No change in size, 16:53, 30 नवम्बर 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा
|संग्रह=म्हारी पाँती पांती री चितावां चिंतावां / मदन गोपाल लढ़ा
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
 
अब छोड़ो भाईजी !
कुण गिनरत करै
म्हारी पीड़ परखणियो आवै
भलांई आभै सूं।
 
 
</Poem>
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