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"रोशनी / मधुप मोहता" के अवतरणों में अंतर

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11:20, 12 दिसम्बर 2010 का अवतरण

रात, हर रात बहुत देर गए,
तेरी खिड़की से, रोशनी छनकर,
मेरे कमरे के दरो-दीवारों पर,
जैसे दस्तक-सी दिया करती है ।

मैं खोल देता हूँ चुपचाप किवाड़,
रोशनी पे सवार तेरी परछाईं,
मेरे कमरे में उतर आती है,
सो जाती है मेरे साथ मेरे बिस्तर पर ।