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"उसके चेहरे पर / मनोज छाबड़ा" के अवतरणों में अंतर
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उसके चेहरे पर
मुस्कराहट का महासागर था
उसकी
नमकीन हँसी में
शंखों से लदी नावें थीं
वहाँ मछुआरे नहीं थे
इसलिए
वह स्वतंत्र मीन-सी
फिसल-फिसल जाती थी
मेरे जीवन से