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"अर्थ-विस्तार / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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03:37, 6 जनवरी 2011 का अवतरण

जब हम प्यार कर रहे होते हैं
तो ऐसा नहीं
कि दुनिया बदल जाती है

बस यही
कि हमें जन्म देने वाली माँ के
चेहरे की हँसी बदल जाती है

हमारे जन्म से ही
पिता के मन में दुबका रहा
सपना बदल जाता है

और
घर में सुबह-शाम
गूँजने वाले
मंत्रों के अर्थ बदल जाते हैं