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"हम बचे रहेंगे / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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03:54, 6 जनवरी 2011 का अवतरण

हमने ही बनाए वे रास्ते
जिनपर चलने से
डरते हैं हम

हमने ही किए वे सारे काम
जिन्हें करने से
अपने बच्चों को रोकते हैं हम

हमने किया वही आज तक
जिसको दूसरे करते हैं
तो बुरा कहते हैं हम

हमने ही एक साथ
जी दो ज़िंदगियाँ
और इतने बेशर्म हो गए
कि ख़ुद से अलग हो जाने का
मलाल नहीं रहा कभी

वे हम ही हैं
जो चाहते हैं कि
लोग हमें समय का मसीहा समझें

वे हम ही हैं
जिन्हें इलाज की सबसे अधिक ज़रूरत
समय नहीं
सदी नहीं
इतिहास और भविष्य भी नहीं
सबसे पहले ख़ुद को ही खंगालने की ज़रूरत

ख़ुद को ख़ुद के सामने खड़ा करना
ख़ौफ़ से नहीं
विश्वास से
शर्म से नहीं
गौरव से

और कहना समेकित स्वर में
कि हम बचे रहेंगे
बचे रहेंगे हम....।