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"फुटकर शेर / त्रिलोकचन्‍द महरूम" के अवतरणों में अंतर

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ज़माना क्या, ज़माने के सितम क्या ।
 
ज़माना क्या, ज़माने के सितम क्या ।
  
 
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कि जमा करता हूँ मैं ख़ार<ref>काँटा</ref> आशियाँ के लिए ।
 
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02:35, 8 जनवरी 2011 का अवतरण

1.
जो तू ग़मख़्वार<ref>हमदर्द, सहानुभूति जताने वाला, दुख-दर्द बाँटने वाला</ref> हो जाये तो ग़म क्या,
ज़माना क्या, ज़माने के सितम क्या ।

2.
ख़लिश<ref>चुभन, टीस, चिन्ता, फ़िक्र, उलझन</ref> ने दिल को मेरे कुछ मज़ा दिया ऐसा,
कि जमा करता हूँ मैं ख़ार<ref>काँटा</ref> आशियाँ के लिए ।

शब्दार्थ
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