भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हवा-एक-दो / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("हवा-एक-दो / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:19, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
एक
हवा पहाड़ी झरने की झनकार हो गई
जिस तक पहुँची उसको वह स्वीकार हो गई
दो
हवा कठिन सरकार हो गई
चल न सकी वह, भार हो गई
रचनाकाल: १६-०७-१९६१