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14:14, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
न आईं रोटियाँ गुदार
गदोरियों पर
इंतजार में सो गई आग
सिर पर लिए तवा
देखते रहे हम
पेट और पीठ का मिलाप
और सामने
चाकुओं पर नाचतीं
खाली कटोरियाँ
रचनाकाल: २९-१२-१९६५