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"तब मैं / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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11:25, 14 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

तब मैं
पेड़ और पहाड़ से भी
अधिक ऊँचा
अंतरिक्ष तक पहुँच जाता हूँ
अपना घर अपना जग
सिर पर उठाए अपने
खड़ा हो जाता हूँ दृढ़
कि आया महासागर
घुटनों तक ही पहुँच पाएगा मेरे।

रचनाकाल: १८-०९-१९७६, मद्रास