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"परिवर्तन / रतन सिंह ढिल्लों" के अवतरणों में अंतर

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21:08, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

कोई ज़माना था
जब बच्चे
गाँव में आई
किसी जीप, कार या बस के
पीछे भागते थे
लटकते थे, झूटे लेते थे
 
आज का ज़माना है
कि जीप की आवाज़ सुनते ही
बच्चे दरवाज़े के पीछे छिप जाते है
माँ की आँचल में छिप जाते हैं
चूहों की तरह दुबक जाते हैं

और
जीपों के चले जाने के बाद
बस सिसकियाँ भरते हैं ।
 
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला