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"इच्छाएँ, दुःख...और प्रेम / नील कमल" के अवतरणों में अंतर
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12:02, 22 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
इच्छाएँ
लटकी पतंग-सी
किसी घने बरगद की
डाल पर
दुःख
थिरकते हुए
टँके पीपल के
पात पर
..और प्रेम
वह तो तपते मरु का
हरियर कँटीला कैक्टस
बूढ़े बरगद के आगे
क्यों झुकना,
क्यों नत होना
पीपल के सामने
देवताओं, क्षमा करना
मैंने शीश नवाया
नन्हे कैक्टस के समक्ष
उसकी जड़ें
धरती में गहरे धँसी थीं
वहाँ तक, जहाँ तक पहुँचती है
पानी की आखिरी बूँद
आखिर, थोड़ी-सी नमी की खातिर
चुकाई थी उसने
सबसे बड़ी कीमत ।