भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घर की याद-1 / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल }} {{KKCatKavita}} <poem> घर छोड़े वर्ष…)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:17, 23 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

घर छोड़े वर्षों बीत गए
मैं हिमगिरी पर हूँ घूम रहा
देखता दृश्य जब नए-नए
वर्षा भी, बर्फ़ानी पहाड़
घनघोर शोर करती नदियाँ
सुनसान पर्वतों पर फैली
पीड़ा से पीली चांदनियाँ
नव-देवदार के जंगल में
छिप कर गाने वाली चिड़ियाँ
ये ही सब मेरे साथी रहे
घर छोड़े वर्षों बीत गए