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18:14, 1 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

छोड़ द बलमुआ जमींदारी परथा ।
सइंया बोअ ना कपास, हम चलाइब चरखा ।

हम कातेब सूत, तू चलइह करचा ।
हम नारा, नुरी भरब ,तू चलइह करघा ।
संईया बोअ...

कहत रसूल, सईंया जइह मत भूल ।
हम खादीए पहिन के रहब बड़का ।
सईंया बोअ...