भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सर पर चढ़ल आजाद गगरिया / रसूल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} Category:भोजपुरी भाषा <poem> सर पर…)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:17, 1 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

सर पर चढ़ल आजाद गगरिया, संभल के चल डगरिया ना ।

एक कुइंयां पर दू पनिहारन, एक ही लागल डोर
कोई खींचे हिन्दुस्तान की ओर,कोई पाकिस्तान की ओर
ना डूबे,ना फूटे ई, मिल्लत<ref>मेल-जोल </ref> की गगरिया ना । सर पर चढ़ल ....

हिन्दू दौड़े पुराण लेकर, मुसलमान कुरान
आपस में दूनों मिल-जुल लिहो,एके रख ईमान
सब मिलजुल के मंगल गावें, भारत की दुअरिया ना । सर पर चढ़ल....

कह रसूल भारतवासी से यही बात समुझाई
भारत के कोने-कोने में तिरंगा लहराई
बांध के मिल्लत की पगड़िया ना । सर पर चढ़ल....

शब्दार्थ
<references/>