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"बा / सुमन केशरी" के अवतरणों में अंतर

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17:17, 2 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

कितना कठिन है
शब्दों में तुम्हें समेटना
बा

तुम एक परछाईं-सी सूरज की
उसी के वृत्त में अवस्थित

चंदन लेप के समान
उसको उसी के ताप से दग्ध होने से बचातीं
उसे भास्कर बनातीं…