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"मैं फिर आऊँगा समुद्र / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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लौट आया बीच से ही | लौट आया बीच से ही | ||
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कि भारत का एक कवि | कि भारत का एक कवि | ||
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और लौट गया उससे बिना मिले ही | और लौट गया उससे बिना मिले ही | ||
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मेरा संदेश | मेरा संदेश | ||
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वह उत्तर में देगा उलाहना | वह उत्तर में देगा उलाहना | ||
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मैं फिर आऊँगा, समुद्र | मैं फिर आऊँगा, समुद्र | ||
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अगली बार, अगले ही महीने | अगली बार, अगले ही महीने | ||
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फिर आऊँगा रीगा | फिर आऊँगा रीगा | ||
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और ठहरूँगा तुम्हारे ही पास | और ठहरूँगा तुम्हारे ही पास | ||
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तुम्हारे और मेरे बीच | तुम्हारे और मेरे बीच | ||
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वर्षों का जो सम्बन्ध है | वर्षों का जो सम्बन्ध है | ||
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वर्षों की जो भावुकता है हमारे बीच | वर्षों की जो भावुकता है हमारे बीच | ||
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एक दूसरे के सुख-दुख की जो समझ है | एक दूसरे के सुख-दुख की जो समझ है | ||
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प्यार का जो धागा है हमारे बीच | प्यार का जो धागा है हमारे बीच | ||
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वैसा का वैसा है दोस्त | वैसा का वैसा है दोस्त | ||
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तुम मेरे दिल के उतने ही करीब हो | तुम मेरे दिल के उतने ही करीब हो | ||
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जितनी की यान्ना | जितनी की यान्ना | ||
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अबकी बार यान्ना के साथ आऊँगा | अबकी बार यान्ना के साथ आऊँगा | ||
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और तुम्हारे गर्म अगाध स्नेह में डूब जाऊँगा | और तुम्हारे गर्म अगाध स्नेह में डूब जाऊँगा | ||
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मैं फिर आऊँगा | मैं फिर आऊँगा | ||
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(रचनाकाल : 1982) | (रचनाकाल : 1982) | ||
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12:56, 8 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
समुद्र के किनारे आकर
समुद्र से न मिल पाया
लौट आया बीच से ही
कितना छटपटाया होगा समुद्र
कि भारत का एक कवि
उसके शहर में आया
और लौट गया उससे बिना मिले ही
समुद्र को भिजवाया
मेरा संदेश
उसको मिला जब
वह उत्तर में देगा उलाहना
मैं फिर आऊँगा, समुद्र
अगली बार, अगले ही महीने
फिर आऊँगा रीगा
और ठहरूँगा तुम्हारे ही पास
तुम्हारे और मेरे बीच
वर्षों का जो सम्बन्ध है
वर्षों की जो भावुकता है हमारे बीच
एक दूसरे के सुख-दुख की जो समझ है
प्यार का जो धागा है हमारे बीच
वैसा का वैसा है दोस्त
तुम मेरे दिल के उतने ही करीब हो
जितनी की यान्ना
अबकी बार यान्ना के साथ आऊँगा
और तुम्हारे गर्म अगाध स्नेह में डूब जाऊँगा
मैं फिर आऊँगा
(रचनाकाल : 1982)