भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नींद में कविता / प्रशान्त कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रशान्त कुमार |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> नींद में कवि…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:27, 17 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
नींद में कविता
मैं सुनता रहा
रात भर-
कविता का शोर
रात भर नींद मेरी
भट्ठी-सी धधकती रही
नींद में कविता का टूटा हुआ जीवन था ।