भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जेल का अमरूद / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अरुण कमल Category:कविताएँ Category:अरुण कमल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ बहुत ...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकारः [[अरुण कमल]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=अरूण कमल
[[Category:अरुण कमल]]
+
}}
 
+
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
  

12:22, 25 अप्रैल 2008 का अवतरण


बहुत दिनों से टिका कर रक्खा था

बैरक के पीछे झुलसे हुए पेड़ पर

एक अमरूद


पहले दिन जब अचानक उधर से गुज़रते

सिहुली लगी डालों पत्तों के बीच

पड़ी थी नज़र

तो अभी-अभी फूल से उठा ही था फल

हरा कचूर


रोज़ देख आता था एक बार

किसी से बिना बताए चुपचाप किसी न किसी बहाने

और आख़िर जब रहा नहीं गया आज

तो

तोड़ ही लाया हूँ


बस एक काट काटा अमरूद

कि भर गया रस से सारा शरीर

भींग गई हड्डी तक