भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रात ने जाने क्या सुना मुझसे / विनय मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय मिश्र }} {{KKCatGhazal}} <poem> रात ने जाने क्या सुना मुझस…)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:25, 25 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

रात ने जाने क्या सुना मुझसे ।
ले गई धूप का पता मुझसे ।
 
जैसे गुल में समाई है ख़ुशबू
वो कहाँ है भला जुदा मुझसे ।