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"सीखो आँखें पढ़ना साहिब / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर
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कितनी कयनातें ठहरा दे | कितनी कयनातें ठहरा दे | ||
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14:43, 27 फ़रवरी 2011 का अवतरण
सीखो आँखें पढ़ना साहिब
होगी मुश्क़िल वरना साहिब
सम्भल कर तुम दोष लगाना
उसने खद्दर पहना साहिब
तिनके से सागर नापेगा
रख ऐसे भी हठ ना साहिब
दीवारें किलकारी मारे
घर में झूले पलना साहिब
पूरे घर को महकाता है
माँ का माला जपना साहिब
सब को दूर सुहाना लागे
क्यूँ ढोलों का बजना साहिब
कितनी कयनातें ठहरा दे
उस आँचल का ढलना साहिब
{द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009}