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"कहाँ की बात / प्रतिभा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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चलो बात आई गई हो गई !
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छोड़ो शिकायत जो बो गई !
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फिर भी तो मन कुछ हिचक गया !
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बोलो न,  ,चुप मत रहो, भई !
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अच्छा ,चलो बाहर निकल चलें ,
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कुछ कदम मिल कर पैदल चलें !
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हँसें, ज़रा ! मिलते हैं लोग कई !
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ज़िन्दगी है .ये सब तो चलता है ,
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थोड़ा सा नमक-मिर्च मिलता है !
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हुई नहीं कोई  भी  बात नई !
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छत फाड़  ठहाका उठा था जब
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एक दूसरे की  तरफ़ देखा तब,
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चार आँखें, लिये सवाल कई !
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नज़रें थीं शर्ट के सिन्दूर पर !
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खुले  होंठ, दृष्टि झुकी झेंप कर
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  बची-खुची बर्फ़ सब पिघल गई !
  
 
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09:06, 28 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

चलो बात आई गई हो गई !
छोड़ो शिकायत जो बो गई !

कहा-सुना तो ,क्या चिपक गया ,
फिर भी तो मन कुछ हिचक गया !
बोलो न, ,चुप मत रहो, भई !

अच्छा ,चलो बाहर निकल चलें ,
कुछ कदम मिल कर पैदल चलें !
 हँसें, ज़रा ! मिलते हैं लोग कई !

ज़िन्दगी है .ये सब तो चलता है ,
थोड़ा सा नमक-मिर्च मिलता है !
हुई नहीं कोई भी बात नई !

छत फाड़ ठहाका उठा था जब
एक दूसरे की तरफ़ देखा तब,
चार आँखें, लिये सवाल कई !

नज़रें थीं शर्ट के सिन्दूर पर !
खुले होंठ, दृष्टि झुकी झेंप कर
  बची-खुची बर्फ़ सब पिघल गई !