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"तितली और भौंरा / हरीश निगम" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश निगम |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> तितली रानी, बड़ी …) |
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20:43, 8 मार्च 2011 के समय का अवतरण
तितली रानी,
बड़ी सयानी,
बोली-भौंरे सुन!
ओ अज्ञानी,
पड़ी पुरानी,
तेरी ये गुनगुन!
कालू राजा,
खा के खाजा,
छेड़ नई-सी धुन!