"सुझाई गयी कविताएं" के अवतरणों में अंतर
(A poem written by Anand Gupta depicting a new morning.) |
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− | + | स्वर्ण रश्मि नैनों के द्वारे<br> | |
+ | सो गये हैं अब सारे तारे<br> | ||
+ | चाँद ने भी ली विदाई<br> | ||
+ | देखो एक नयी सुबह है आई.<br> | ||
− | + | मचलते पंछी पंख फैलाते<br> | |
+ | ठंडे हवा के झोंके आते<br> | ||
+ | नयी किरण की नयी परछाई<br> | ||
+ | देखो एक नयी सुबह है आई. <br> | ||
− | + | कहीं ईश्वर के भजन हैं होते<br> | |
+ | लोग इबादत में मगन हैं होते<br> | ||
+ | खुल रही हैं अँखियाँ अल्साई<br> | ||
+ | देखो एक नयी सुबह है आई. <br> | ||
− | + | मोहक लगती फैली हरियाली<br> | |
+ | होकर चंचल और मतवाली<br> | ||
+ | कैसे कुदरत लेती अंगड़ाई<br> | ||
+ | देखो एक नयी सुबह है आई. <br> | ||
− | + | फिर आबाद हैं सूनी गलियाँ<br> | |
− | + | खिल उठी हैं नूतन कलियाँ<br> | |
− | ------------------------------------- | + | फूलों ने है ख़ुश्बू बिखराई<br> |
− | + | देखो एक नयी सुबह है आई. <br> | |
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− | + | आनंद गुप्ता |
20:41, 26 अगस्त 2007 का अवतरण
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स्वर्ण रश्मि नैनों के द्वारे
सो गये हैं अब सारे तारे
चाँद ने भी ली विदाई
देखो एक नयी सुबह है आई.
मचलते पंछी पंख फैलाते
ठंडे हवा के झोंके आते
नयी किरण की नयी परछाई
देखो एक नयी सुबह है आई.
कहीं ईश्वर के भजन हैं होते
लोग इबादत में मगन हैं होते
खुल रही हैं अँखियाँ अल्साई
देखो एक नयी सुबह है आई.
मोहक लगती फैली हरियाली
होकर चंचल और मतवाली
कैसे कुदरत लेती अंगड़ाई
देखो एक नयी सुबह है आई.
फिर आबाद हैं सूनी गलियाँ
खिल उठी हैं नूतन कलियाँ
फूलों ने है ख़ुश्बू बिखराई
देखो एक नयी सुबह है आई.
आनंद गुप्ता