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"इसीलिए / गगन गिल" के अवतरणों में अंतर

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21:42, 13 मार्च 2011 के समय का अवतरण

वह नहीं होगा कभी भी
फाँसी पर झूलता हुआ आदमी
वारदात की ख़बरें पढ़ते हुए
सोचता था वह

गर्दन के पीछे हो रही झुरझुरी को वह
मुल्तवी करता रहता था

तमाम क़बरों के बावजूद
सोचता था
अपने लिए एक
बिल्कुल अलग अंत

इसीलिए जब अंत आया
तो अलग तरह से नहीं आया ।

1989