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"कहाँ क़ातिल बदलते हैं फ़क़त चेहरे बदलते हैं / हबीब जालिब" के अवतरणों में अंतर

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21:23, 14 मार्च 2011 के समय का अवतरण

कहाँ क़ातिल बदलते हैं फ़क़त चेहरे बदलते हैं
अजब अपना सफ़र है फ़ासले भी साथ चलते हैं

बहुत कमजर्फ़ था जो महफ़िलों को कर गया वीराँ
न पूछो हाले चाराँ शाम को जब साए ढलते हैं

वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है
न वो सूरज निकलता है, न अपने दिन बदलते हैं

कहाँ तक दोस्तों की बेदिली का हम करें मातम
चलो इस बार भी हम ही सरे मक़तल<ref>क़त्लगाह की तरफ़</ref> निकलते हैं

हमेशा औज पर देखा मुक़द्दर उन अदीबों का
जो इब्नुलवक़्त<ref>मौक़ापरस्त</ref> होते हैं हवा के साथ चलते हैं

हम अहले दर्द ने ये राज़ आखिर पा लिया ‘जालिब’
कि दीप ऊँचे मकानों में हमारे खूँ से जलते हैं

शब्दार्थ
<references/>