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श्री प्रभु तें प्रभु गन दुखद लखि प्रजहिं सँभारै राउ।
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कर तें होत कृपानको कठिन घोर घन घाउ।501।
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श्री माली भानु किसान सम नीति निपुन नरपाल।
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प्रजा भाग बस होहिंगे कबहुँ कबहुँ कलिकाल।507।
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बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोइ।
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तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ।508।
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श्री प्रभु तें प्रभु गन दुखद लखि प्रजहिं सँभारै राउ।
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कर तें होत कृपानको कठिन घोर घन घाउ।501।
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श्री माली भानु किसान सम नीति निपुन नरपाल।
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प्रजा भाग बस होहिंगे कबहुँ कबहुँ कलिकाल।507।
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बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोइ।
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तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ।508।
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सुधा सुनाज कुनाज फल आम असन सम जानि।
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सुप्रभु प्रजा हित लेहिं कर सामादिक अनुमानि।509।
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पाके पकए बिटप दल उत्तम मध्यम नीच।
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फल नर लहैं नरेस त्यों करि बिचारि मन बीच।510।
  
  
 
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17:01, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

दोहा संख्या 501 से 510


श्री प्रभु तें प्रभु गन दुखद लखि प्रजहिं सँभारै राउ।
कर तें होत कृपानको कठिन घोर घन घाउ।501।


श्री माली भानु किसान सम नीति निपुन नरपाल।
प्रजा भाग बस होहिंगे कबहुँ कबहुँ कलिकाल।507।


बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोइ।
तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ।508।


श्री प्रभु तें प्रभु गन दुखद लखि प्रजहिं सँभारै राउ।
कर तें होत कृपानको कठिन घोर घन घाउ।501।


श्री माली भानु किसान सम नीति निपुन नरपाल।
प्रजा भाग बस होहिंगे कबहुँ कबहुँ कलिकाल।507।


बरसत हरषत लोग सब करषत लखै न कोइ।
तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होइ।508।
 

सुधा सुनाज कुनाज फल आम असन सम जानि।
सुप्रभु प्रजा हित लेहिं कर सामादिक अनुमानि।509।


पाके पकए बिटप दल उत्तम मध्यम नीच।
फल नर लहैं नरेस त्यों करि बिचारि मन बीच।510।