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"आरज़ू के मोती / वाज़दा ख़ान" के अवतरणों में अंतर

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20:58, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

झील का पानी खारा है या मीठा
पता नहीं, एक बार डूबना है उसमें
कई बार समुद्र में डूबना चाहा मगर
पटक देती हैं लहरें
लाकर तट पर

अब झील से मुख़ातिब हूँ
हो सकता है मेरी आरज़ू के मोती
झील की तलछट में मिल जाएँ

क्यों उसकी सतह पर तो
नावें चलती हैं या हंस तैरा करते हैं ।