भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भोपालःशोकगीत 1984 - हवा / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: '''हवा'''<br><br> हवा को डस लिया है <br> किसी करात ने<br> या कौड़िया साँप ने।<br><br> लहर मा...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=राजेश जोशी
 +
}}
 +
 
'''हवा'''<br><br>
 
'''हवा'''<br><br>
 
हवा को डस लिया है <br>
 
हवा को डस लिया है <br>

21:08, 16 जून 2007 का अवतरण

हवा

हवा को डस लिया है
किसी करात ने
या कौड़िया साँप ने।

लहर मारता है ज़हर
थरथराता है रह रह कर
हवा का बदन।

भागो भागो भागो
जहाँ भी खुला हो
थोड़ा सा आकाश
जहाँ भी बची हो
थोड़ी सी हवा पवित्र
भागो भागो भागो
चीखता है
सारा शहर

हमारी हवा को डस लिया है
किसी करात ने
किसी कौड़िया साँप ने !