भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन है / क़तील" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=क़तील शिफ़ाई }} Category:गज़ल चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन...)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=क़तील शिफ़ाई
 
|रचनाकार=क़तील शिफ़ाई
}}
+
}}{{KKAnthologyId}}
 
[[Category:गज़ल]]
 
[[Category:गज़ल]]
  

01:51, 26 मार्च 2011 का अवतरण

चराग़ दिल के जलाओ कि ईद का दिन है
तराने झूम के गाओ कि ईद का दिन है

ग़मों को दिल से भुलाओ कि ईद का दिन है
ख़ुशी से बज़्म सजाओ कि ईद का दिन है

हुज़ूर उसकी करो अब सलामती की दुआ
सर-ए-नमाज़ झुकाओ कि ईद का दिन है

सभी मुराद हो पूरी हर एक सवाली की
दुआ को हाथ उठाओ कि ईद का दिन है