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"निंदा / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर

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'तुम निंदा के जितने वाक्य निंदा में कहते हो
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तुम निंदा के  
वे निंदा नहीं रह गए हैं और केवल तुम्हारी
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जितने वाक्य  
घबराहट बताते हैं
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निंदा में कहते हो
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वे  
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निंदा नहीं  
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रह गए हैं  
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और  
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केवल तुम्हारी
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घबराहट  
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बताते हैं
 
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01:12, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण

तुम निंदा के
जितने वाक्य
निंदा में कहते हो

वे
निंदा नहीं
रह गए हैं
और
केवल तुम्हारी
घबराहट
बताते हैं