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"सड़क-2 / श्याम बिहारी श्यामल" के अवतरणों में अंतर
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फँसे हुए हैं
हम लोग सारे
पूरे वज़ूद के साथ
बिछा हुआ है
हमारी बस्ती में
ज़िन्दा-ज़हरीला
घना सर्प-जाल !