भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पेड़-3 / श्याम बिहारी श्यामल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम बिहारी श्यामल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क़लम से …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:25, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
क़लम से रोपे गए हैं
काग़ज़ पर !
ख़ूब मचल रहे हैं
झूम रहे हैं पेड़
रिपोर्टों में
आँकड़ों में !
पेड़ों की छटा
क्या ख़ूब फब रही है
फ़ाइलों में !
पेड़ आज कितने ख़ुश हैं
काग़ज़ पर होकर सुरक्षित
और बचकर
शीत से
धूप से
आँधियों से
बवंडरों से
पर, क्या इन चुप पेड़ों का
फूटेगा कभी कंठ ?