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"मृत्यु भय / सियाराम शरण गुप्त" के अवतरणों में अंतर
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01:42, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
यह रात सहसा आ गई,
नभ में अंधेरी छा गई।
सोना पड़ेगा अब हमें
ये कार्य तज कर सब हमें।
हैं कार्य पूर्ण न एक भी,
किस भाँति सो जावें अभी।
क्या नींद अच्छी आयगी,
यह रात यों ही जायगी।
दु:स्वप्न दुख पहुँचायँगे,
क्या शांति झँप कर पायँगे?
हे नाथ, लें न विराम हम,
दिन भर करें बस काम हम।
सन्ध्या समय एसे थकें,
हम नींद गहरी ले सकें,
जिसमें कि हम फिर जब जगें,
सोत्साह कार्यों में लगें।