भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मृत्यु-3 / शुभाशीष चक्रवर्ती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभाशीष चक्रवर्ती |संग्रह= }} <Poem> मेरे स्वप्न टुक...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=शुभाशीष चक्रवर्ती
 
|रचनाकार=शुभाशीष चक्रवर्ती
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
}}
+
}}{{KKAnthologyDeath}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
मेरे स्वप्न टुकड़ों में
 
मेरे स्वप्न टुकड़ों में

01:42, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

मेरे स्वप्न टुकड़ों में
नींद का सफ़र पूरा कर रहे हैं
मैं तुम्हारे पास अनजाने में चला आया हूँ
मेरे मृत होते जीवन पर
तुम हाथ रखती हो
आत्मा शरीर से
अलग हो जाती है
स्वप्न बदल जाता है

तुम मेरे घर की सीढ़ियों पर बैठी हो
तुम्हारी सफ़ेद साड़ी आलने में टँग रही है
उससे सफ़ेद रंग छूटकर फ़र्श पर फैल रहा है
आंगन में सफ़ेद धुँआ भर गया है
धुएँ से तुम्हारा शरीर टुकड़ों में बँट गया है
तुम दिखती हो
फिर
लुप्त हो जाती हो
मैं आँखें मूंद लौट आता हूँ

गाँव के किनारे पर खड़े बरगद के
एकमात्र झूले पर
मैं अपनी बारी का इन्तज़ार कर रहा हूँ
शाम का धुंधलका उसकी डोर को
अंधेरे में ले जा रहा है
मैं मृत्यु और जीवन के बीच
डोल रहा हूँ
सारा गाँव सो रहा है