भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मृत्यु-परी से / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर }}...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
 
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
 
|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
 
|संग्रह=मृत्यु-बोध / महेन्द्र भटनागर
}}
+
}}{{KKAnthologyDeath}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
मृत्यु आओ —
 
मृत्यु आओ —
 
::हम तैयार हैं !
 
::हम तैयार हैं !

01:43, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

मृत्यु आओ —

हम तैयार हैं !

मत समझो

कि लाचार हैं ।


पूर्व-सूचना

दोगी नहीं क्या ?

आभार मेरा

लोगी नहीं क्या ?


आओगी -

बिना आहट किये

आश्चर्य देती !

नटखट बालिका की तरह !


ठीक है,

स्वीकार है !

मेरी चहेती,
तुम्हारा खेल यह
स्वीकार है !

चुपचाप आओ,

मृत्यु आओ

हम तैयार हैं !


अच्छी तरह

समझते हैं —

कि जीवन-पुस्तिका का

उपसंहार हो तुम !

इसलिए —

मेरे लिए

पूर्णता का

शुभ-समाचार हो तुम !


आओ,

मृत्यु आओ,

हम तैयार हैं !

प्रतीक्षा में तुम्हारी

सज-धज कर

तैयार हैं !