भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गति / पुरुषोत्तम अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पुरुषोत्तम अग्रवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> यहाँ को…)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:56, 7 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

यहाँ कोई गति नहीं पा सकता
बिना शुल्क दिए
चाहे वह रोहित ही क्यों न हो
देना ही होगा
शुल्क तुम्हें
शैव्या !
चाहे वह फटा वस्त्र ही क्यों न हो
यही आदेश है
इसी का पालन कर्तव्य है ।

किसे मिलती है गति
बिना शुल्क दिए
कहाँ जलता है शव
कहाँ करता है जीव
अंतरिक्ष गमन
बिना शुल्क दिए ।

चुकाना ही होगा कर
जो निर्धारित है
मुझसे विवाद अकारथ है
विवाद से नहीं चलतीं व्यवस्थाएँ
वे अनुगमन से ही जीवित हैं
विवाद से मनुष्य जीता है
लेकिन गति नहीं पाता ।

कोई नहीं पाता गति
बिना शुल्क दिए
वह तुम्हें चुकाना ही होगा ।