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"बहरापन-5 / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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01:59, 17 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

धूल, धुआँ, गुब्बार,
तेज़ाब ही तेज़ाब,
रेडियोधर्मी विकिरण -
तपता हुआ
ब्रह्माण्ड का गोला;
फटने लगे हैं
अंतरिक्ष के कानों के परदे,
चीख़ती है निर्वसना प्रकृति
......और......
           दिशाएँ बहरी हैं !