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"पिता जी ( शब्दांजलि-१) / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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01:03, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

 

घरों में बलग़मी छाती का होना

दीवारों का चौकस

छत का मजबूत होना है।

वही झेलती है

तीरों की धूप

कुरलाणियों की बरखा ।


दुख बस यही कि खिड़कियाँ

बहुत जल्‍द आसमान

हो जाना चाहती हैं।