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"शुरूआत / संतोष अलेक्स" के अवतरणों में अंतर

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'''अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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11:27, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण

तुम क्या सोच रहे हो
नदी किनारे अस्त होते
सूर्य को देखकर ?
- पूछा उसने मुझसे


मैं सोच रहा था
उस पक्षी के बारे में
कल गोली खाकर
नीचे गिर पड़ा था जो

यह नियम का उल्लंघन था
पक्षी तो बना है इसीलिए कि
वह पृथ्वी के ऊपर
आकाश के अंतस में उड़े<ref>बाइबल का पहला अध्याय, उत्पति 1 रू० 20</ref>

’पक्षी और मनुष्य’ पर गोष्ठी के बाद
बाहर आए लोग और
चौंक गए

एक श्वेत पक्षी
नीले आकाश में उडान भरने की
तैयारी कर रहा था

अनुवाद : अनिल जनविजय

शब्दार्थ
<references/>