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"अपना पीछा करता जाऊँ / विज्ञान व्रत" के अवतरणों में अंतर

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18:57, 23 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

अपना पीछा करता जाऊँ
लेकिन ख़ुद के हाथ न आऊँ

उसकी धुन पर नाचूँ, गाऊँ
यानी उनका दिल बहलाऊँ

उनकी शर्तों पर जीने से
बेहतर होगा, मर ही जाऊँ

उसने मुझको कितना समझा
किस-किसको समझाने जाऊँ

मुझमें कुछ औज़ार छिपे हैं
अब उनको हथियार बनाऊँ !