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"जीवन व्यर्थ गँवाया / महेश चंद्र पुनेठा" के अवतरणों में अंतर

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10:52, 4 मई 2011 का अवतरण

भूखे का भोजन
प्यासे का पानी
ठिठुरते की आग
तपते को हवा
बेघर का घर
जरूरतमंद का धन
लुटे-पिटे का ढाढ़स
बिछुड़ते का राग
फगुवे का फाग
गर इतना भी बन न पाया
हाय! जीवन यॅू ही व्यर्थ गँवाया ।