भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ग़ज़ल-3 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> जगता रहता सारी रात सोचता र…)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 
|रचनाकार=मुकेश मानस  
 
|रचनाकार=मुकेश मानस  
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
पंक्ति 4: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
 
जगता रहता सारी रात
 
जगता रहता सारी रात
 
सोचता रहता सारी रात
 
सोचता रहता सारी रात

19:34, 5 मई 2011 के समय का अवतरण

जगता रहता सारी रात
सोचता रहता सारी रात

तन्हाई और सन्नाटे को
सुनता रहता सारी रात

अपने प्रश्नों के जवाब
ढूँढता रहता सारी रात

जाने कैसी उलझन है
उलझा रहता सारी रात
2005