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"रात दर्जिन थी कोई / प्रतिभा कटियार" के अवतरणों में अंतर

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23:25, 25 मई 2011 के समय का अवतरण

रात दर्जिन थी कोई
सीती थी दिन के पैरहन
के फटे हिस्से...

वो जाने कैसा लम्हा था
धागे उलझ गए सारे

सुईयाँ भी गिरकर खो गईं ।

दिन का लिबास
उधड़ा ही रहेगा अब...