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"भोर भयो जागहु, रघुनन्दन / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर
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20:54, 27 मई 2011 के समय का अवतरण
राग बिभास
भोर भयो जागहु, रघुनन्दन | गत-व्यलीक भगतनि उर-चन्दन ||
ससि करहीन, छीन दुति तारे | तमचुर मुखर, सुनहु मेरे प्यारे ||
बिकसित कञ्ज, कुमुद बिलखाने | लै पराग रस मधुप उड़ाने ||
अनुज सखा सब बोलनि आये | बन्दिन्ह अति पुनीत गुन गाये ||
मनभावतो कलेऊ कीजै | तुलसिदास कहँ जूठनि दीजै ||