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"चींटी / निरंकार देव सेवक" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरंकार देव सेवक |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> चींटी भूल …) |
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22:21, 27 मई 2011 के समय का अवतरण
चींटी भूल गई रस्ता,
आ जा तू मेरे घर आ ।
खाने को दूँगा रोटी,
बेसन की मोटी-मोटी ।
पानी दूँगा पीने को,
फिर खेलेंगे हम दोनों ।