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"कानाबाती कुर्र / बालकृष्ण गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> मेढक बोले टर…)
 
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23:41, 27 मई 2011 के समय का अवतरण

मेढक बोले टर्र,
बर्राती है बर्र ।

जूता बोले चर्र,
मोटर चलती घर्र ।

मम्मी सोतीं खर्र,
पापा जाते डर्र ।

चिड़िया उडती फुर्र,
कानाबाती कुर्र ।