"मैं हँसना चाहता हूँ / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमा द्विवेदी |संग्रह= }} न तो मैं दीवाना हूं,<br> न तो मैं अ...) |
|||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
न तो मैं अफ़साना हूं,<br> | न तो मैं अफ़साना हूं,<br> | ||
मैं हूं एक आम इंसान,<br> | मैं हूं एक आम इंसान,<br> | ||
− | इसलिए मैं | + | इसलिए मैं हँसना चाहता हूं।,<br><br> |
जैसे चाट-पकौड़ी खा,<br> | जैसे चाट-पकौड़ी खा,<br> | ||
लोग करते हैं जायका परिवर्तन,<br> | लोग करते हैं जायका परिवर्तन,<br> | ||
− | वैसे ही मन | + | वैसे ही मन हँसने को करता है,<br> |
− | मगर | + | मगर हँसी का 'खोमचा',<br> |
नहीं लगता चौराहे पर,<br> | नहीं लगता चौराहे पर,<br> | ||
बात अन्तर्मन की है,<br> | बात अन्तर्मन की है,<br> | ||
कई दिनों से मन-,<br> | कई दिनों से मन-,<br> | ||
− | कर रहा था | + | कर रहा था हँसने को,<br> |
किन्तु-,<br> | किन्तु-,<br> | ||
− | + | हँसी आती है मगर,<br> | |
कितनी सतही? कितनी क्षणिक?,<br> | कितनी सतही? कितनी क्षणिक?,<br> | ||
अन्तस की हर कली के साथ,<br> | अन्तस की हर कली के साथ,<br> | ||
− | मन तरस गया है | + | मन तरस गया है हँसने को,<br> |
− | यूं तो | + | यूं तो हँसने के लिए,<br> |
नहीं कमी हालातों की,<br> | नहीं कमी हालातों की,<br> | ||
− | किन्तु उन पर | + | किन्तु उन पर हँसना,<br> |
मुसीबत को दावत देना है।,<br><br> | मुसीबत को दावत देना है।,<br><br> | ||
− | + | हँसने के लिए एक क्षेत्र-,<br> | |
सुरक्षित है-,<br> | सुरक्षित है-,<br> | ||
आम आदमी की बेचारगी पर,<br> | आम आदमी की बेचारगी पर,<br> | ||
− | + | हँस सकते हैं,<br> | |
किन्तु देखकर उसे,<br> | किन्तु देखकर उसे,<br> | ||
− | + | हँसने की जगह रोना आता है।,<br><br> | |
सोच समझ कर मैंने लिया निर्णय,<br> | सोच समझ कर मैंने लिया निर्णय,<br> | ||
− | क्यों न | + | क्यों न हँसने की रिहर्सल की जाए?,<br> |
किन्तु प्रश्न था जगह का,<br> | किन्तु प्रश्न था जगह का,<br> | ||
जहां कोई रिस्क न हो?,<br> | जहां कोई रिस्क न हो?,<br> | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
अपने सहकर्मी से,<br> | अपने सहकर्मी से,<br> | ||
मैं आफिस के कमरे में,<br> | मैं आफिस के कमरे में,<br> | ||
− | + | हँसना चाहता हूं।,<br><br> | |
सुनते ही वह बरस पड़ा,<br> | सुनते ही वह बरस पड़ा,<br> | ||
− | आफिस में | + | आफिस में हँसना चाहते हो?,<br> |
क्या इसके लिए परमीशन ली है?,<br> | क्या इसके लिए परमीशन ली है?,<br> | ||
तुरन्त मैंने परमीशन की अर्जी,<br> | तुरन्त मैंने परमीशन की अर्जी,<br> | ||
पंक्ति 48: | पंक्ति 48: | ||
उच्चाधिकारी खफ़ा हो गया,<br> | उच्चाधिकारी खफ़ा हो गया,<br> | ||
वे दौड़े-दौड़े आए और फ़रमाए,<br> | वे दौड़े-दौड़े आए और फ़रमाए,<br> | ||
− | अचानक | + | अचानक आप को क्या हो गया है?,<br> |
− | आप क्यों | + | आप क्यों हँसना चाहते हैं?,<br> |
मुसीबत में क्यों पड़ना चाहते हैं?,<br> | मुसीबत में क्यों पड़ना चाहते हैं?,<br> | ||
और हमें भी मुसीबत में क्यों डालना चाहते हैं?,<br> | और हमें भी मुसीबत में क्यों डालना चाहते हैं?,<br> | ||
मैंने सहजता से कहा-,<br> | मैंने सहजता से कहा-,<br> | ||
मुसीबत की क्या बात है?,<br> | मुसीबत की क्या बात है?,<br> | ||
− | मैं तो सिर्फ | + | मैं तो सिर्फ हँसना चाहता हूं,<br> |
वे बोले यही तो मुसीबत है,<br> | वे बोले यही तो मुसीबत है,<br> | ||
− | आप अधिकारी होकर | + | आप अधिकारी होकर हँसना चाहते हैं,,<br> |
− | यदि | + | यदि हँसेंगे आप-,<br> |
अन्य कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?,<br> | अन्य कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?,<br> | ||
सारा डेकोरम और डिसिप्लिन,<br> | सारा डेकोरम और डिसिप्लिन,<br> | ||
हो जायेगा बर्बाद ।,<br> | हो जायेगा बर्बाद ।,<br> | ||
मैंने कहा कुछ भी हो,<br> | मैंने कहा कुछ भी हो,<br> | ||
− | मैं | + | मैं हँसूंगा जरूर।,<br><br> |
− | वे बोले ठीक है, | + | वे बोले ठीक है, हँसने का फार्म,<br> |
दीजिए भर-,<br> | दीजिए भर-,<br> | ||
और करिए प्रतीक्षा कुछ दिनों तक,<br> | और करिए प्रतीक्षा कुछ दिनों तक,<br> | ||
फार्म मंगवाया,गौर से पढ़ा,<br> | फार्म मंगवाया,गौर से पढ़ा,<br> | ||
नाम ,पद,श्रेणी,उचित कारण के साथ,,<br> | नाम ,पद,श्रेणी,उचित कारण के साथ,,<br> | ||
− | + | हँसने का दिन ,समय, अवधि,<br> | |
और लाभ बताना था।,<br><br> | और लाभ बताना था।,<br><br> | ||
अंतिम कालम पर मैं ठिठक गया,<br> | अंतिम कालम पर मैं ठिठक गया,<br> | ||
− | पिछली बार | + | पिछली बार हँसने की तिथि भरनी थी,<br> |
मुझे याद नहीं ,<br> | मुझे याद नहीं ,<br> | ||
− | मैं पिछली बार कब | + | मैं पिछली बार कब हँसा था?,<br> |
शायद तब!,<br> | शायद तब!,<br> | ||
जब मां ने गोद में ले,<br> | जब मां ने गोद में ले,<br> | ||
पंक्ति 82: | पंक्ति 82: | ||
नन्हे-नन्हे साथियों के साथ बैठ,<br> | नन्हे-नन्हे साथियों के साथ बैठ,<br> | ||
शायद ! अन्तस की हर कली के साथ-,<br> | शायद ! अन्तस की हर कली के साथ-,<br> | ||
− | तब ही | + | तब ही हँसा था।,<br> |
पश्चात ईर्ष्या,द्वेष,तनाव,<br> | पश्चात ईर्ष्या,द्वेष,तनाव,<br> | ||
अंधी दौड़ के सिवा,कुछ याद नहीं,<br> | अंधी दौड़ के सिवा,कुछ याद नहीं,<br> | ||
− | पिछली बार | + | पिछली बार हँसने की सही तिथि,<br> |
मुझे याद नहीं,<br> | मुझे याद नहीं,<br> | ||
− | अत: मुझे | + | अत: मुझे हँसने की अनुमति,<br> |
मिल न सकी।,<br> | मिल न सकी।,<br> | ||
अब आप ही बताएं,<br> | अब आप ही बताएं,<br> | ||
मैं क्या करूं??क्योंकि-,<br> | मैं क्या करूं??क्योंकि-,<br> | ||
− | मैं | + | मैं हँसना चाहता हूं।,<br> |
− | मैं | + | मैं हँसना चाहता हूं॥,<br><br> |
22:25, 28 जून 2007 का अवतरण
न तो मैं दीवाना हूं,
न तो मैं अफ़साना हूं,
मैं हूं एक आम इंसान,
इसलिए मैं हँसना चाहता हूं।,
जैसे चाट-पकौड़ी खा,
लोग करते हैं जायका परिवर्तन,
वैसे ही मन हँसने को करता है,
मगर हँसी का 'खोमचा',
नहीं लगता चौराहे पर,
बात अन्तर्मन की है,
कई दिनों से मन-,
कर रहा था हँसने को,
किन्तु-,
हँसी आती है मगर,
कितनी सतही? कितनी क्षणिक?,
अन्तस की हर कली के साथ,
मन तरस गया है हँसने को,
यूं तो हँसने के लिए,
नहीं कमी हालातों की,
किन्तु उन पर हँसना,
मुसीबत को दावत देना है।,
हँसने के लिए एक क्षेत्र-,
सुरक्षित है-,
आम आदमी की बेचारगी पर,
हँस सकते हैं,
किन्तु देखकर उसे,
हँसने की जगह रोना आता है।,
सोच समझ कर मैंने लिया निर्णय,
क्यों न हँसने की रिहर्सल की जाए?,
किन्तु प्रश्न था जगह का,
जहां कोई रिस्क न हो?,
आखिर में मैंने कहा,
अपने सहकर्मी से,
मैं आफिस के कमरे में,
हँसना चाहता हूं।,
सुनते ही वह बरस पड़ा,
आफिस में हँसना चाहते हो?,
क्या इसके लिए परमीशन ली है?,
तुरन्त मैंने परमीशन की अर्जी,
आगे भिजवा दी।,
कार्यालय में हंगामा हो गाया,
उच्चाधिकारी खफ़ा हो गया,
वे दौड़े-दौड़े आए और फ़रमाए,
अचानक आप को क्या हो गया है?,
आप क्यों हँसना चाहते हैं?,
मुसीबत में क्यों पड़ना चाहते हैं?,
और हमें भी मुसीबत में क्यों डालना चाहते हैं?,
मैंने सहजता से कहा-,
मुसीबत की क्या बात है?,
मैं तो सिर्फ हँसना चाहता हूं,
वे बोले यही तो मुसीबत है,
आप अधिकारी होकर हँसना चाहते हैं,,
यदि हँसेंगे आप-,
अन्य कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?,
सारा डेकोरम और डिसिप्लिन,
हो जायेगा बर्बाद ।,
मैंने कहा कुछ भी हो,
मैं हँसूंगा जरूर।,
वे बोले ठीक है, हँसने का फार्म,
दीजिए भर-,
और करिए प्रतीक्षा कुछ दिनों तक,
फार्म मंगवाया,गौर से पढ़ा,
नाम ,पद,श्रेणी,उचित कारण के साथ,,
हँसने का दिन ,समय, अवधि,
और लाभ बताना था।,
अंतिम कालम पर मैं ठिठक गया,
पिछली बार हँसने की तिथि भरनी थी,
मुझे याद नहीं ,
मैं पिछली बार कब हँसा था?,
शायद तब!,
जब मां ने गोद में ले,
दूध पिलाया था,या,
पिता ने उंगली पकड़ -,
चलना सिखाया था,
या प्रथम बार पाठ्शाला में जा,
नन्हे-नन्हे साथियों के साथ बैठ,
शायद ! अन्तस की हर कली के साथ-,
तब ही हँसा था।,
पश्चात ईर्ष्या,द्वेष,तनाव,
अंधी दौड़ के सिवा,कुछ याद नहीं,
पिछली बार हँसने की सही तिथि,
मुझे याद नहीं,
अत: मुझे हँसने की अनुमति,
मिल न सकी।,
अब आप ही बताएं,
मैं क्या करूं??क्योंकि-,
मैं हँसना चाहता हूं।,
मैं हँसना चाहता हूं॥,