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"ताबूत की आख़िरी कील / नील कमल" के अवतरणों में अंतर

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13:19, 6 जून 2011 के समय का अवतरण

पीछे मुड़ कर
देखना भी
ज़रूरी होता है
जब कहीं नज़र न आती हो
आगे की राह

पत्तों का झरना
फूलों का मुरझा जाना
और
रास्ते में खाई
ठोकरों को याद करना भी
मुनासिब होता है कभी-कभी,

सोनार की सौ मार के बाद
लोहार का एक वार भी
ज़रूरी होता है

मेरे पीछे एक रात है ,लम्बी,
आगे छटपटाती सुबह,

लोहार के एक वार से पहले
मैं रात को दफ़न करना चाहता हूँ,

मैं उस ताबूत की
आख़िरी कील बनना चाहता हूँ ।