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ढलान पर था लामा
पहाड़ी रास्ते पर
रक्तिम परिधान
ने चखा न था
स्वाद पसीने का,
स्वाद नमक का
उसकी जीभ को पता है
क्या करता है लामा
कैसे रहता है विशाल
इस मठ में बिना दुख के
कितने लामा रहते होंगे
इतने बड़े मठ में
कि जहाँ छुपने की जगह
भी नहीं पाता है दुख
दुख, जो शेरपा के
जीवन में इस तरह आता है
लगा कर बैठा था घात
जाने कब से भूखे शेर की माँद में
दुख, शेरपा के घर में
सबसे बुजुर्ग सदस्य है
सुख, नाम है जिस मेहमान का
रहता है इंतज़ार उसका
शेरपा को
चढ़ाई पर था शेरपा
लामा, ढलान पर था ।